बुधवार, 17 अगस्त 2011


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"केन्द्र को नहीं सुहाता भगवा और गांधी टोपी"

नई दिल्ली। अन्ना हजारे की गिरफ्तारी और उसके बाद पैदा हुए हालात को लेकर विपक्ष ने केन्द्र सरकार पर तगड़ा हमला बोला। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि लोकपाल बिल के मुद्दे पर फंसी सरकार खुद इसके लिए जिम्मेदार है। सुषमा ने लोकपाल बिल पर गठित संयुक्त समिति में विपक्ष को शामिल नहीं करने को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया।

सुषमा ने कहा कि जब कोई भगवा कपड़े पहनने वाला व्यक्ति दिल्ली में शांति पूर्वक विरोध प्रदर्शन करता है या गांधी टोपी पहनने वाला कोई व्यक्ति अनशन पर बैठता है तो सरकार उन पर पाठियां बरसाने और गिरफ्तार करने का आदेश दे देती है लेकिन उसी सरकार को अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी से कोई आपत्ति नहीं होती।

विरोध प्रदर्शन को दबा रही है सरकार
उधर राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने अन्ना हजारे प्रकरण में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को आडे हाथ लेते हुए कहा कि भ्रष्टाचार को मिटाने में उनकी राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण ही के कारण ही देश में यह नौबत पैदा हुई है। सरकार भ्रष्टाचार को दूर करने की बजाय नागरिकों के विरोध और प्रदर्शन के अधिकार को ही छीन रही है ।

जेटली ने मनमोहन सिंह को लाचार और निरीह प्रधानमंत्री की भी संज्ञा दी। जेटली ने कहा कि देश की जनता भ्रष्टाचार से परेशान और हताश हो गई है। सरकार उसे दूर करने में विफल हो गई है तथा वह अदालत और जनता के दबाब में आकर ही कोई कार्रवाई कर पा रही है। अन्ना का आंदोलन इसी हताशा और निराशा से उत्पन्न हुआ है क्यों कि जनता मे असंतोष और बैचेनी छाई है।

अन्ना के आंदोलन ने हमें नींद से जगाया है और चेताया है कि हमें अपने घर को दुरूस्त करना चाहिए। यह केवल जन लोकपाल विधेयक का मामला नहीं है बल्कि यह सरकार पर से उठते विश्वास के संकट का नतीजा है।

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