गुरुवार, 18 अगस्त 2011

इनको बुद्धि कब आएगी

"अमरीका के हाथों खेल रहे अन्ना"

हजारे प्रकरण में सरकार और कांग्रेस अब नाकामी को छिपाने के लिए आंदोलन के पीछे विदेशी शक्तियों का हाथ बता अपनी और फजीहत कराने में लगे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि गृह मंत्रालय ने आईबी और दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट की पूरी तरह से अनदेखी की। दोनों ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को सजग कर दिया था कि अन्ना का अनशन रोकना ठीक नहीं होगा। इसके बाद भी सरकार ने एक ऎसा फैसला किया, जिसे वह अब न निगल पा रही है और न ही उगल।
उल्टा संसद के भीतर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बोल पड़े कि कुछ ऎसी विदेशी शक्तियां हैं, जो भारत को आगे नहीं बढ़ने देना चाहती हैं। हम ऎसे लोगों के हाथों में न खेलें। हालांकि, उन्होंने सीधा कुछ नहीं कहा, लेकिन यही माना गया कि अन्ना विदेशी हाथो में खेल रहे हैं।

उल्टा बोले अल्वी
कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी प्रधानमंत्री से दो हाथ आगे निकल गए। पार्टी मंच से उन्होंने जो कहा उसका सीधा -सीधा यही मतलब निकाला जा रहा है कि अन्ना हजारे अमरीका के हाथों में खेल रहे हैं। अल्वी भूल गए कि अमरीका के साथ ही उनकी सरकार ने परमाणु समझौता किया था।

राहुल नाखुश
गृहमंत्री पी. चिदंबरम के रिपोर्टो की अनदेखी करने के फैसले से कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी भी खुश नहीं हैं। वे बुधवार को कोरग्रुप की बैठक में शामिल भी नहीं हुए। उनके कड़े रूख के बाद इतना तय हो गया है कि सरकार अब अन्ना के खिलाफ किसी भी प्रकार का कड़ा कदम नहीं उठाने जा रही है।

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