आरा से यह तस्वीर दीपक कुमार के सौजन्य से प्राप्त हुई है। जयप्रकाश नारायण की मूर्ति है। जन्मशति के मौके पर उनके अनुयायी आस्था व्यक्त कर रहे हैं। जयप्रकाश नारायण के जितने भी सत्ताधारी चेले हुए वो सब फटीचर गति को प्राप्त हुए लेकिन तस्वीर में दिख रहे लोग पता नहीं क्यूं जेनुइन मालूम पड़ते हैं। इसी खौफ से बहन कुमारी मायावती मूर्ति रक्षा दल बना रही हैं ताकि इस तरह के दिन न देखने पड़े। लेकिन उन्हें भी समझना चाहिए,जब तक इस तरह के अनुयायी बचे रहेंगे,मूर्ति का बचाखुचा कोई भी हिस्सा आस्था व्यक्त करने के काम आता रहेगा। मुझे यह तस्वीर ग़ज़ब की लगी। इस मूर्ति के नीचे से किसी भी प्रकार के लोकतांत्रिक विचार आ जा सकते हैं। दो खंभों पर खुद को टिकाने का ही तो जेपी ने प्रयोग किया था। दो तरह के विचारों को भी।शौक-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर। स्कूल की मिट चुकी तमाम स्मृतियों में से एक यही लाइन बची रह गई। बाकी आज तक नहीं समझ पाया कि दस बारह सालों तक स्कूल क्यों गया? बरसो से मन में कई बातों का तूफ़ान चल रहा है. दिल करता है की अब उसे शब्दों के पिरो दूँ . ब्लॉग के मंच पर पेश है मेरी अभिव्यक्ति.
रविवार, 7 मार्च 2010
आखिर क्यों बने मूर्ति रक्षा दल जब ऐसे अनुयाई हो.
आरा से यह तस्वीर दीपक कुमार के सौजन्य से प्राप्त हुई है। जयप्रकाश नारायण की मूर्ति है। जन्मशति के मौके पर उनके अनुयायी आस्था व्यक्त कर रहे हैं। जयप्रकाश नारायण के जितने भी सत्ताधारी चेले हुए वो सब फटीचर गति को प्राप्त हुए लेकिन तस्वीर में दिख रहे लोग पता नहीं क्यूं जेनुइन मालूम पड़ते हैं। इसी खौफ से बहन कुमारी मायावती मूर्ति रक्षा दल बना रही हैं ताकि इस तरह के दिन न देखने पड़े। लेकिन उन्हें भी समझना चाहिए,जब तक इस तरह के अनुयायी बचे रहेंगे,मूर्ति का बचाखुचा कोई भी हिस्सा आस्था व्यक्त करने के काम आता रहेगा। मुझे यह तस्वीर ग़ज़ब की लगी। इस मूर्ति के नीचे से किसी भी प्रकार के लोकतांत्रिक विचार आ जा सकते हैं। दो खंभों पर खुद को टिकाने का ही तो जेपी ने प्रयोग किया था। दो तरह के विचारों को भी।
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