गुरुवार, 25 मार्च 2010

रोमांटिक लव लेटर


(हस्त पुस्तिका प्रेम-पत्र रोमांटिक लव लेटर। लेखक हैं अवधेश कुमार उर्फ मुंशी जी।)

मुंशी जी सही मायने में प्रेमचंद हैं। प्रेम के तमाम एंगल पर ख़त लिखने का हुनर किसी साहित्य अकादमी वालों की नज़र से नहीं गुजरता। देश की गलियों में पलते हुए बुढ़ा रही तमाम प्रतिभाओं के सम्मान में बिना मुंशीजी से पूछे उनकी एक महान रचना को इंटरनेट पर पेश किया जा रहा है। मुंशी जी की दुनिया में आज भी ख़त पत्र है।

शीर्षक- अनजाने प्रेमी का पत्र

जाने सनम,

जब से मैंने आपके सौंदर्य को एक नज़र निहारा है तब से दिल बेकरार है। अब आप को बग़ैर जाने पहिचाने ही कैसे किसी पर मोहित होकर प्यार जताने का अधिकार है। सवाल ठीक है परन्तु दिल जब आ जाता है तो किसी से रोके नहीं रुकता। अब सवाल यह उठता है कि प्यार अनजाने क्यों किया?मेरी जान,प्यार करने से नहीं बल्कि हो ही जाता है चाहे किसी से भी हो जाए तभी तो जब से आपको देखा है तब से पहलू में दिल बेचैन है,मैं स्वयं भी समझने में असमर्थ हूं क्योंकि-

दिल आ गया तुम पर, दिल ही तो है।
तड़पे क्यों न, बिसमिल ही तो है।।

मैं क्या बताऊं कि मुझे क्या हो गया। हर समय दिल काबू से बाहर हो गया। माइन्ड पर कंट्रोल नहीं रहा है। मेरे दिल की मलिका, मैंने आपको जब से सुभाष पार्क में गांधी जयंती में अपने परिवार के साथ टहलते देखा तब से ही ह्रदय में एक हलचल पैदा हो गई जिसे मैं रोकने में असमर्थ हूं और बहुत देर से न्योछावर करता हूं। यूं तो आज तक लाखों हसीना मेरी आंखों के आगे गुज़रे होंगे परन्तु ईश्वर ने आपकी अदा ही निराली बक्शी है। जिसने मुझे दीवाना बना दिया।

देखा जो हुश्न आपका, तबियत मचल गई।
आँखों का था कसूर, छुरी दिल में चल गई।।

प्रिय जाने मन और गुलबदन तुम क्या जानो कि आपको वियोग में हमारे दिल पर क्या क्या गुजर रही है। दिन पर दिन दहशत बढ़ती जा रही है। ख्याल बदलते जाते हैं। आखिर दिल बेचैन हो कर यही कहता है-

तुझे क्या खबर वे मुर्ब्बत किसी की।
हुई तेरे गम में क्या, हालत किसी की।।

इतना ही नहीं इश्क के सिद्धांत यहां तक बढ़ गई कि पागलों की तरह मारा मारा आपकी कोठरी के इर्द-गिर्द फिरता हूं। इस ख्याल में कि एक बार वो चांद सा मुखड़ा देखने का अवसर मिल जाए ताकि ये तड़पता हुआ दिल किसी तरह तस्कीन पाए।

रात दिन सोचते हुए समय व्यतीत कर दिया, फैसला हो न सका। आखिर आत्मघात कर लेने का विचार किया परन्तु आपका प्रेम और दर्शन की आशा ने मुझे मरने भी नहीं दिया।आपको कालिज पहुंचाने को आपका ड्राइवर कार लाया और आपको बुलाने ज्यों ही अंदर गया बस मेरी आत्मा प्रफुल्लित हो गई। मैंने शीघ्र ही यह प्रेम पत्र जान बूझकर सुन्दर लिफाफे में बन्द करके आपकी सीट पर डाल दिया। अब इंतजार पत्र के उत्तर पाने को है। अब आप चाहे जो कहें मगर मैं तो यही कहूंगा-

जवानी दीवानी गजब ढा रही है।
मोहब्बत के पहलू में लहरा रही है।।
किया खत का मजमून खतम चुपके चुपके।।
रुकी अब कलम यहीं पर चुपके चुपके।

अधिक क्या लिखूं रंग लाने को ही बहुत है।
आपका अनजाना प्रेमी सतीश

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