शौक-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर। स्कूल की मिट चुकी तमाम स्मृतियों में से एक यही लाइन बची रह गई। बाकी आज तक नहीं समझ पाया कि दस बारह सालों तक स्कूल क्यों गया? बरसो से मन में कई बातों का तूफ़ान चल रहा है. दिल करता है की अब उसे शब्दों के पिरो दूँ . ब्लॉग के मंच पर पेश है मेरी अभिव्यक्ति.
शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010
पुलिस और रुपये का रिश्ता
पुलिस और रुपये का रिश्ता काफी पुराना और मशहूर हे. नोट सामने देखते ही पुलिसवालों का चेहरा ख़ुशी से खिल जाता है. मामला कोटा के एक पुलिस थाने का है. गलत मत समझिय. पुलिस ने एक सेवानिवृत अधिकारी का काला धन पकड़ा है. उसे ही थानाधिकारी गिन रहे है.
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