रविवार, 24 नवंबर 2013

तेजी से तो नहीं घट रहा वजन

कई बार पेट और आंत संबंधी बीमारियों में शरीर भोजन को पूरी तरह से ग्रहण नहीं कर पाता और जो भोजन शरीर में जाता भी है उसका प्रयोग जरूरत के मुताबिक नहीं हो पाता इसलिए तेजी से वजन घटता है।


डायबिटीज की आशंका
अगर आपको बार-बार प्यास और भूख लगती है, शरीर भी थका-थका रहता है। पेशाब के लिए बार-बार जाना पड़ता है। तेजी से वजन भी घट रहा है तो आप डायबिटीज की समस्या से पीडित हो सकते हैं। इस बीमारी में ब्लड शुगर को शरीर ग्रहण नहीं कर पाता और यह शुगर पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकल आता है। इस क्रिया में काफी ऊर्जा खर्च होती है। जिससे वजन गिरने लग जाता है।


हाइपोथाइरॉयड के संकेत
कई बार हाइपोथाइरॉयड के मरीजों का वजन भी तेजी से गिरता है। थकान, सिरदर्द, बार-बार भूख लगना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी जैसे लक्षणों के साथ अगर तेजी से वजन भी गिर रहा हो तो ये हाइपोथाइरॉयड का लक्षण हो सकता है। हालांकि हाइपोथाइरॉयड के मरीजों में कई बार उल्टा भी होता है। यानी उनका वजन तेजी से बढ़ता है।


तनाव होना
कई बार तनाव की दशा में इंसान को भूख कम लगती है। कम खाने की वजह से शरीर को जरूरी ईंधन नहीं मिल पाता। ऎसे में शरीर में जमा फैट टूटकर ग्लूकोज में बदलता है और शरीर इसे ईधन के रूप में इस्तेमाल करता है। इस वजह से भी वजन कम होने लग जाता है।


कैंसर होना
कैंसर के एक तिहाई मामलों में खासकर ज्यादा उम्र वालों में वजन तेजी से घटता है। इसकी वजह है कि कैंसर कोशिकाएं तेजी से बढ़ती है और इसके लिए उन्हें भारी मात्रा में ऊर्जा की जरूरत होती है।


मानसिक रूप से अस्वस्थ
तेजी से वजन कम होने की वजहों में मानसिक रूप से कमजोर होना भी है। यदि कोई व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान है या फिर उसका इलाज चल रहा हो तो भी ऎसे व्यक्ति का वजन तेजी से बढ़ने लगता है या फिर गिरने लगता है।


किसी काम का दबाव होना
कई मामलों में दबाव या प्रेशर भी वजन गिरने का कारण बनते हैं। बुरे हालात या मुश्किलों में भी इंसान कम वजन की चपेट में आ जाता है। जब हम कम खाना खाते हैं तो शरीर को संपूर्ण कैलारी व ऊर्जा नहीं मिल पाती, ऎसे में पोषक तत्वों के अभाव से हमारी प्रतिरोधात्मक क्षमता कम हो जाती है। इसके अलावा लिवर या दिल की समस्याओं के कारण भी वजन कम हो सकता है। इसलिए जब भी वजन कम हो तो इसे नजरअंदाज मत कीजिए।

डायबिटीज घटाएं खानपान बदलकर

डायबिटीज एक लाइफस्टाइल डिस्ऑर्डर है, जिसमें खून का प्रवाह कई अंगों में कम होने लगता है। इससे हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, हाथ-पैरों की बीमारी जैसी कई समस्याएं होने लगती हैं। कुछ आसान उपाय अपनाकर इसकी रोकथाम करना काफी हद तक संभव है।


महिलाएं हो रहीं ज्यादा शिकार
वल्र्ड डायबिटीज डे के मौके पर इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक डायबिटीज के मामले में भारत, विश्व की राजधानी बन गया है, यहां डायबिटीज के मरीजो की संख्या 40 लाख से ज्यादा है। बदलती जीवनशैली और गलत खानपान की वजह से 30-35 आयु वर्ग की महिलाएं सबसे ज्यादा डायबिटीज का शिकार हो रही हैं। भारत में गांव के लोगों की तुलना में शहर के लोग तला हुआ भोजन ज्यादा खाते हैं और फल कम लेते हैं जिससे उनमें डायबिटीज व मोटापे की आशंका और भी बढ़ जाती है।


वजन घटाएं
वजन ज्यादा है, तो इसे कम करें। एक सप्ताह में चार से पांच बार एक्सरसाइज करने से ब्लड शुगर का लेवल कम होता है और ह्वदय की समस्याओं से भी बचाव होता है। वजन कम करने के लिए आप स्विमिंग, एरोबिक्स या डांस कर सकते हैं। एक्सरसाइज करने के तुरंत बाद कुछ जरूर खाएं ताकि शुगर लेवल सामान्य बना रहे। किडनी व धमनियों की समस्या या कोई घाव हो गया है तो व्यायाम न करें।


गुड कार्बोहाइड्रेट लें
फल, सब्जियां, साबुत अनाज, फलियां, सोया आदि फाइबर के अच्छे स्रोत हैं। इनके सेवन से पेट जल्दी भरता है जिससे आप ओवरईटिंग से बच सकते हैं। इससे आपका ब्लड शुगर भी नियंत्रण में रहता है। तेल, घी और चिकनाई से बचें। एक दिन में दो से ज्यादा फल न खाएं। एक ही बार में पेट भरने की बजाय कुछ घंटों के अंतराल में खाएं। डाइट में थोड़े से बादाम, पिस्ता और अखरोट शामिल करें, इनमें मौजूद विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रित रखते हैं और हार्ट अटैक के खतरे को भी कम करते हैं।


ऎसे रखें अपना ख्याल
जांच कराएं: हर तीन महीने में अपने शुगर लेवल की जांच जरूर कराएं।
चोट लगने पर: डायबिटीज की समस्या होने पर अगर कभी चोट लग जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डाइट चार्ट: अपनी शारीरिक प्रकृति व जीवनशैली के अनुसार डायटीशियन से डाइट चार्ट बनवाएं।
इंसुलिन लेने पर : अगर आप इंसुलिन लेते हैं तो खाना खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल जरूर चेक करें।

दफ्तर में हो यौन शोषण, तो कैसे बचाएगा कानून ?

यौन शोषण की ज्यादत्तर घटनाओं में पीडिता इसे छोटी घटना मानकर नजरअंदाज कर देती है। लेकिन यहां पर सवाल यह पैदा होता है कि अक्सर इसे छोटी घटना क्यों मान ली जाती है। भारत में कानून कार्यस्थल पर यौन शोषण से बचाव करता है। हालांकि कई महिलाओं इस तरह के कानून से वाकिफ ही नहीं है। हम आपकों बताते हैं कि किस तरह से कानून आपका यौन शोषण से बचाव करता है।


क्या है यौन शोषण-
सैक्सुएल ह्रेसमेंट ऑफ वुमेन एट वर्कप्लेस एक्ट 2013 कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन शोषण को कवर करता है। इस कानून को लोकसभा में सितंबर 2012 में पास किया गया था और राष्ट्रपति ने इसे 2013 में मंजूरी दी थी। कानून के तहत यौन शोषण क्या है इस पर एक नजर...

-यौन शोषण के इरादे से नौकरी के लिए गलत वादा करना

- यौन शोषण के इरादे से नौकरी के दौरान उसे किसी भी तरह की धमकी देना

- यौन शोषण के इरादे से नौकरी से निकाले जाने की धमकी देना

- काम में हस्तक्षेप करना और उसके लिए काम करने का गंदा माहौल बनाना

- उससे ऎसा काम करवाना जो कि उसके स्वास्थय और सुरक्षा के लिहाज से सही ना हो

- शारीरिक संपर्क और गलत इरादे से छूना

-यौन संबंध के लिए कहना

-भद्दी टिप्पणी करना

-अश्लील कंटेंट दिखाना


इंटरनेशनल लेबर ऑफिस क्या कहता है ?

इंटरनेशनल लेबर ऑफिस के मुताबिक शारीरिक संपर्क, शारीरिक हिंसा, चुट्टी काटना, छूना, नौकरी से निकालने की धमकी, यौन शोषण के लिए विशेष अवार्ड देना, कर्मचारी की पर्सनलिटी पर कमेंट करना, उम्र पर कमेंट , निजी जिंदगी पर कमेंट, गंदे कमेंट, अश्लील कहानी और जोक्स सुनाना, जबरदस्ती यौन शोषण करना, लिंगभेद, बार-बार सोशल साइट्स कि रिक्वेस्ट भेजना और माता-पिता को लेकर टिप्पणी करना यौन शोषण में शामिल है।


क्या करता है राष्ट्रीय महिला आयोग ?

राष्ट्रीय महिला आयोग का कम्पलैन और काउंसिल सैल मौखिक और लिखित तौर पर मिली यौन शोषण की शिकायतों के आधार पर कार्रवाई करती है। आयोग इस पर अपनी मर्जी से भी कार्रवाई कर सकता है। ऎसे मामलों में आयोग पुलिस को कार्रवाई करने के लिए दबाव डाल सकता है। आयोग मामले की पुलिस जांच की निगरानी और पीडिता को न्याय दिलाने लिए उचित कदम उठाने के लिए राज्य के उच्च अधिकारियों के सामने रख सकता है। गंभीर अपराध में आयोग जांच कमेटी बना सकता है जो कि जांच करती है, गवाहों की सुनवाई, सबूत इकठ्ठे करती है और अपनी रिपोर्ट सिफारिशों के साथ जमा कराती है।


महिलाओं के लिए हेल्पलाइन

ऎसी घटनाओं से बचाव के लिए महिलाओं के लिए सरकार ने एक नेशनल वुमेन हेल्पलाइन बनाई हुई है। ऎसी घटना होने पर 1091 या 1291 पर कॉल करके सुरक्षा मांग जा सकती है।


क्या कहती हैभारतीय दंड संहिता

भारतीय दंड संहिता कई धाराओं के साथ यौन शोषण से पूरी तरह से बचाव करती है। यौन शोषण के आरोप में आइपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाता है। एक नजर यौन शोषण पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं पर ...

आइपीसी सेक्शन 292-294 - अश्लीलता के साथ पेश आना

आइपीसी सेक्शन 354- बलपूर्वक लज्जाभंग पर

आइपीसी सेक्शन 375 - रेप करने पर

आइपीसी सेक्शन 509 - अश्लील शब्द, टिप्पणी और भावमुद्रा के साथ पेश आना पर


क्या करे नियोक्ता ?

सैक्सुएल ह्रेसमेंट ऑफ वुमेन एट वर्कप्लेस एक्ट 2013 नियोक्ता को अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कई सारे प्रबंध करने के लिए पाबंद करता है। एक नजर जो एक नियोक्ता को करना चाहिए...

-कर्माचरियों को काम करने का सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराना, ऑफिस के काम से बाहर जाने पर सुरक्षा सुनिश्चित करना

- ऎसी घटना संज्ञान में आने पर जांच करवाना

- इस मुद्दे पर जारूकरता प्रोग्राम और वर्कशॉप आयोजित कराना

- निष्पक्ष जांच के लिए आंतरिक कमेटी बनाना

- जांच कमेटी, पीडित और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना

- पीडित अगर शिकायत दर्ज कराना चाहती है तो उसे हर एक सुविधा मुहैया कराना

- आतंरिक कमेटी की निगरानी और उसकी रिपोर्ट लेते रहना है

"बॉर्डर" की बस्ती, जहां चंद कदमों में बदलती है "सरकार"

"बॉर्डर" की बस्ती, जहां चंद कदमों में बदलती है "सरकार"

राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर बसी चर्चित मानव बस्ती भवानी मंडी तो एक उदाहरण भर है कि भारत में राज्यों के बीच नीतियों और कानून का फर्क होने से किस तरह की परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं। राज्यों की सीमा पर किसी भी बस्ती को देखें, विकास के पैमाने पर भी फर्क नजर आ जाता है। असमान विकास भी तो अंतरराज्यीय विवादों को ही बढ़ावा देता है, आइए कुछ विवादों-परेशानियो पर नजर डालें...

वह बस एक सड़क या गली ही तो है, जो यह अहसास भी ढंग से नहीं करा पाती कि गली के एक ओर मध्य प्रदेश है और दूसरी ओर राजस्थान। एक तरफ भवानी मंडी है, तो दूसरी ओर भैसोदामंडी। ऎसे मकान भी हैं, जिनका मुख्य दरवाजा मध्य प्रदेश में तो पिछला दरवाजा राजस्थान में खुलता है। और तो और, रेलवे स्टेशन पर देखिए, बुकिंग क्लर्क मध्यप्रदेश में बैठता है और टिकट कटाने वाले यात्री राजस्थान की सीमा में खड़े होकर टिकट कटाते हैं। यह सब सुनने में बड़ा रोचक लगता है, पर सच्चाई उतनी सहज नहीं है, जितनी कि किसी इलाके में होनी चाहिए।

दोहरे पहचान पत्र?

यहां दोनों ओर चुनाव हो रहे हैं। एक ओर, मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले का गरोठ विधानसभा क्षेत्र है, तो दूसरी ओर, राजस्थान के झालावाड़ जिले का डग क्षेत्र। यहां ऎसे लोग भी थे, जिन्होंने दोनों ओर मतदाता पहचान पत्र बना रखे थे, ऎसे 32 लोगों को दोनों ओर चिन्हित किया गया। यहां बहुत लंबे समय तक विवाद रहा है कि कौन-किस राज्य का वासी है। दोनों सरकारों में समन्वय हो, तो दोहरे पहचान पत्र से बचा जा सकता है।

दोनों राज्यों के निर्वाचन कार्यालयों ने इस बार सतर्कता बरती है, तो शायद ही कोई ऎसा होगा, जो दोनों ओर वोट डाल पाएगा। दूसरी ओर, यह सराहनीय फैसला किया गया है कि 25 नवम्बर को मध्य प्रदेश में मतदान और 1 दिसम्बर को राजस्थान में मतदान से 48 घंटे पहले इस बस्ती में बॉर्डर के दोनों ओर शराबबंदी रहेगी। यहां ऎसे ही अनेक फैसलों की जरूरत है, ताकि यहां निवास कर रहे लोगों के जीवन में समानता हो, पर लगता है, ऎसा होने में बहुत समय लगेगा।

नशे पर लगाम नहीं

अलग-अलग आबकारी नीतियों का खेल देखिए - राजस्थान में शराब की दुकानें 8 बजे बंद हो जाती हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में 11 बजे तक खुली रहती हैं। भवानी मंडी के नशाखोर 8 बजे बाद नशे के लिए भैसोदामंडी चले जाते हैं। पहले यह इलाका अफीम की तस्करी के लिए भी बहुत बदनाम था।

अपराधियों का खेल


अक्सर आपराधिक मामलों में विवाद होता है। कई बार हत्या, लूट जैसे अपराध के बाद अपराधी सहज ही दूसरे राज्य में भाग जाते हैं।

दोनों जगह गोदाम

दोनों राज्यों में कई वस्तुओं पर कर दरों में अंतर है। पहले लोग अपना लाभ देखते थे, अब व्यापारियों ने करों का खेल समझ लिया है, कई व्यापारियों ने सीमा के दोनों ओर अपने गोदाम बना रखे हैं।

बिजली चोरी

राजस्थान वाला हिस्सा विकसित है, मध्य प्रदेश वाला हिस्सा पिछड़ा। राजस्थान वाले हिस्से में बिजली आपूर्ति ठीक है, तो जाहिर है, मध्य प्रदेश के लोगों ने राजस्थान के तार से तार जोड़ लिए हैं।

 









बुधवार, 10 जुलाई 2013

खाना बर्बाद करने से पहले सोचें


क्या हुआ, अगर थोड़ा खाना प्लेट में बच भी गया तो। फेंक दो, ज्यादा खाकर पेट थोड़े ही खराब करना है। घर या होटल में इस तरह के जुमले अक्सर सुनने को मिल जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं आप अपनी प्लेट में जो खाना बर्बाद कर रहे हैं उससे किसी जरूरतमंद की भूख मिटाई जा सकती थी। दुनिया में हर साल 130 करोड़ टन से भी ज्यादा खाना बर्बाद होता है। इतने खाने से पूरी दुनिया की भूख तीन बार मिटाई जा सकती है।

खाने की बर्बादी की बात करें तो यूरोपीय देशों की तुलना में भारत कहीं ज्यादा अच्छी स्थिति में है। भारत में हर साल थाली में करीब 6 से 11 किग्रा खाना बर्बाद होता है जबकि उत्तरी अमरीका और यूरोप में यह 95 से 115 किग्रा के बीच है। बावजूद इसके भारत जैसे विकासशील देश में भुखमरी की बड़ी समस्या का कारण यह खाने की बर्बादी भी है। भारत में समस्या अनाज को सही ढंग से स्टोर नहीं कर पाने की भी है। उचित रखरखाव का अभाव, पुराने स्टोरेज और गोदामों के चलते हर साल भारत में 50 हजार करोड़ रूपए का अनाज बर्बाद हो जाता है, जिससे 30 करोड़ गरीबों का पेट भरा जा सकता है।

इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल रिसचर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया पूरे साल में जितने गेहंू का उत्पादन करता है उतना तो भारत में बर्बाद हो जाता है। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया(एफसीआई) के आंकड़ों में खुलासा हुआ है कि 2009 से भारत में 7 हजार 800 करोड़ टन अनाज की बर्बादी हुई है जो कि भारत में होने वाले कुल उत्पादन का नौ फीसदी है। वल्र्ड बैंक ने भी एफसीआई की खरीदारी नीति की आलोचना करते हुए कहा था कि उसकी अक्षमता के चलते इतनी बड़ी मात्रा में अनाज की बर्बादी हो रही है। खाद्य सामग्री बर्बाद करने में अमरीका सबसे ऊपर है जो करीब 30 फीसदी फल, सब्जियां और अनाज बर्बाद कर देता है। क्वालिटी मुद्दों के चलते वहां के बड़े-बड़े मॉल इन्हें खारिज कर देते हैं। भारत में हम इस तरह की कल्पना नहीं कर सकते क्योंकि हमारे पास संसाधन सीमित और जरूरतें उससे कहीं ज्यादा हैं।

शादी-ब्याह में होती है बहुत ज्यादा बर्बादी
गोदामों में अनाज की बर्बादी के बाद भारत में दूसरी सबसे बड़ी समस्या है शादी-विवाह जैसे भव्य समारोह। इनमें मेहमानों का पेट भरने से ज्यादा ध्यान उन्हें हर तरह के लजीज व्यंजनों के स्वाद से रूबरू कराने पर रहता है। नतीजा बड़ी मात्रा में खाना बर्बाद। खाद्य मंत्रालय के हालिया अध्ययन की बात करें तो शादी जैसे समारोह में बनने वाले खाने का 20 फीसदी हिस्सा तो बर्बाद ही हो जाता है लेकिन अब तक हम इस समस्या से उबर नहीं सके हैं। इसके अलावा बड़े-बड़े होटल भी इस मामले में अव्वल हैं, जहां पर बड़ी मात्रा में खाद्य सामग्री बर्बाद हो रही है।

कानून बनना जरूरी
कई विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दक्षिण कोरिया की तर्ज पर भारत में भी कानून बनाया जाना चाहिए। कोरिया में कानून है कि आप जितना खाना छोड़ेंगे, आपको उसकी कीमत अदा करनी होगी। अगर भारत में भी इस तरह की व्यवस्था होती है तो निश्चित रूप से अनाज की बर्बादी को रोका जा सकता है। अगली बार जब आप अपनी थाली में खाना छोड़ें तो यह याद करें कि कोई है जो सड़क पर भूखा सो रहा है।

क्या आपको पता है?
एक व्यक्ति को रोजाना
60 लीटर पानी का इस्तेमाल किसी न किसी रूप में करता है।
1. अगर आप अपनी थाली में 20 ग्राम चावल, अनाज और दालें आदि छोड़ते हैं तो आप 60 लीटर पानी बर्बाद कर रहे हैं।
2. 10 ग्राम मांस प्लेट में छोड़ने का मतलब 105 लीटर पानी बेकार ही बह गया।
3. एक सेब की बर्बादी का मतलब हुआ कि 164 लीटर और 50 ग्रामकेमिकल्स व्यर्थ गए।
4. फ्रिज में पांच टमाटर सड़े तो समझो 200 लीटर पानी बर्बाद
खाने की बर्बादी रोकने के कुछ उपाय
उतना ही खरीदें व उतना ही पकाएं, जितनी जरूरत हो। इससे खाने की न्यूट्रीशन वैल्यू भी बनी रहेगी।
समारोह आदि में बचने वाले अतिरिक्त खाने के उचित वितरण की व्यवस्था करें।
थोड़ी सी खराब होने पर कच्ची सब्जियों या फलों को फेंकें नहीं बल्कि उनके बेहतर इस्तेमाल का उपाय ढूंढे।
जानें कुछ और तथ्य
देश में उपलब्ध होने वाले ताजा जल का आधा हिस्सा खेती के काम आता है।
भारत में हर साल करीब कुल उत्पादन का 11.9 फीसदी फल, 9.6 फीसदी सब्जी और 5.2 फीसदी अनाज बर्बाद होता है।
विश्व में करीब 90 करोड़ लोग भूख की समस्या
से जूझ रहे हैं जबकि 100 करोड़ लोग जरूरत
से ज्यादा खाते हैं।
खाना फेंकने से होने वाली जल बर्बादी से 500 करोड़ लोगों की जरूरत पूरी हो सकती हैं।

मंगलवार, 9 जुलाई 2013