बुधवार, 10 जुलाई 2013

खाना बर्बाद करने से पहले सोचें


क्या हुआ, अगर थोड़ा खाना प्लेट में बच भी गया तो। फेंक दो, ज्यादा खाकर पेट थोड़े ही खराब करना है। घर या होटल में इस तरह के जुमले अक्सर सुनने को मिल जाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं आप अपनी प्लेट में जो खाना बर्बाद कर रहे हैं उससे किसी जरूरतमंद की भूख मिटाई जा सकती थी। दुनिया में हर साल 130 करोड़ टन से भी ज्यादा खाना बर्बाद होता है। इतने खाने से पूरी दुनिया की भूख तीन बार मिटाई जा सकती है।

खाने की बर्बादी की बात करें तो यूरोपीय देशों की तुलना में भारत कहीं ज्यादा अच्छी स्थिति में है। भारत में हर साल थाली में करीब 6 से 11 किग्रा खाना बर्बाद होता है जबकि उत्तरी अमरीका और यूरोप में यह 95 से 115 किग्रा के बीच है। बावजूद इसके भारत जैसे विकासशील देश में भुखमरी की बड़ी समस्या का कारण यह खाने की बर्बादी भी है। भारत में समस्या अनाज को सही ढंग से स्टोर नहीं कर पाने की भी है। उचित रखरखाव का अभाव, पुराने स्टोरेज और गोदामों के चलते हर साल भारत में 50 हजार करोड़ रूपए का अनाज बर्बाद हो जाता है, जिससे 30 करोड़ गरीबों का पेट भरा जा सकता है।

इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल रिसचर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया पूरे साल में जितने गेहंू का उत्पादन करता है उतना तो भारत में बर्बाद हो जाता है। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया(एफसीआई) के आंकड़ों में खुलासा हुआ है कि 2009 से भारत में 7 हजार 800 करोड़ टन अनाज की बर्बादी हुई है जो कि भारत में होने वाले कुल उत्पादन का नौ फीसदी है। वल्र्ड बैंक ने भी एफसीआई की खरीदारी नीति की आलोचना करते हुए कहा था कि उसकी अक्षमता के चलते इतनी बड़ी मात्रा में अनाज की बर्बादी हो रही है। खाद्य सामग्री बर्बाद करने में अमरीका सबसे ऊपर है जो करीब 30 फीसदी फल, सब्जियां और अनाज बर्बाद कर देता है। क्वालिटी मुद्दों के चलते वहां के बड़े-बड़े मॉल इन्हें खारिज कर देते हैं। भारत में हम इस तरह की कल्पना नहीं कर सकते क्योंकि हमारे पास संसाधन सीमित और जरूरतें उससे कहीं ज्यादा हैं।

शादी-ब्याह में होती है बहुत ज्यादा बर्बादी
गोदामों में अनाज की बर्बादी के बाद भारत में दूसरी सबसे बड़ी समस्या है शादी-विवाह जैसे भव्य समारोह। इनमें मेहमानों का पेट भरने से ज्यादा ध्यान उन्हें हर तरह के लजीज व्यंजनों के स्वाद से रूबरू कराने पर रहता है। नतीजा बड़ी मात्रा में खाना बर्बाद। खाद्य मंत्रालय के हालिया अध्ययन की बात करें तो शादी जैसे समारोह में बनने वाले खाने का 20 फीसदी हिस्सा तो बर्बाद ही हो जाता है लेकिन अब तक हम इस समस्या से उबर नहीं सके हैं। इसके अलावा बड़े-बड़े होटल भी इस मामले में अव्वल हैं, जहां पर बड़ी मात्रा में खाद्य सामग्री बर्बाद हो रही है।

कानून बनना जरूरी
कई विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि दक्षिण कोरिया की तर्ज पर भारत में भी कानून बनाया जाना चाहिए। कोरिया में कानून है कि आप जितना खाना छोड़ेंगे, आपको उसकी कीमत अदा करनी होगी। अगर भारत में भी इस तरह की व्यवस्था होती है तो निश्चित रूप से अनाज की बर्बादी को रोका जा सकता है। अगली बार जब आप अपनी थाली में खाना छोड़ें तो यह याद करें कि कोई है जो सड़क पर भूखा सो रहा है।

क्या आपको पता है?
एक व्यक्ति को रोजाना
60 लीटर पानी का इस्तेमाल किसी न किसी रूप में करता है।
1. अगर आप अपनी थाली में 20 ग्राम चावल, अनाज और दालें आदि छोड़ते हैं तो आप 60 लीटर पानी बर्बाद कर रहे हैं।
2. 10 ग्राम मांस प्लेट में छोड़ने का मतलब 105 लीटर पानी बेकार ही बह गया।
3. एक सेब की बर्बादी का मतलब हुआ कि 164 लीटर और 50 ग्रामकेमिकल्स व्यर्थ गए।
4. फ्रिज में पांच टमाटर सड़े तो समझो 200 लीटर पानी बर्बाद
खाने की बर्बादी रोकने के कुछ उपाय
उतना ही खरीदें व उतना ही पकाएं, जितनी जरूरत हो। इससे खाने की न्यूट्रीशन वैल्यू भी बनी रहेगी।
समारोह आदि में बचने वाले अतिरिक्त खाने के उचित वितरण की व्यवस्था करें।
थोड़ी सी खराब होने पर कच्ची सब्जियों या फलों को फेंकें नहीं बल्कि उनके बेहतर इस्तेमाल का उपाय ढूंढे।
जानें कुछ और तथ्य
देश में उपलब्ध होने वाले ताजा जल का आधा हिस्सा खेती के काम आता है।
भारत में हर साल करीब कुल उत्पादन का 11.9 फीसदी फल, 9.6 फीसदी सब्जी और 5.2 फीसदी अनाज बर्बाद होता है।
विश्व में करीब 90 करोड़ लोग भूख की समस्या
से जूझ रहे हैं जबकि 100 करोड़ लोग जरूरत
से ज्यादा खाते हैं।
खाना फेंकने से होने वाली जल बर्बादी से 500 करोड़ लोगों की जरूरत पूरी हो सकती हैं।

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