शनिवार, 6 अक्तूबर 2012


































राहें जुदा पर दिल हुआ फिदा


जोडियां भले ही आसमान में बनती हों लेकिन उन्हें निभाना जमीन पर ही पड़ता है। देश में ऎसी हस्तियों की कमी नहीं है, जो अलग-अलग प्रोफेशंस और फील्ड में होने के बावजूद "मैं और तुम" के भाव को "हम" बनाकर दाम्पत्य की सफल पारी खेल रही हैं। वेलेंटाइंस डे (14 फरवरी) से ठीक पहले, प्रेम को एक अहसास से ऊपर जीने का संबल मानने वाली जोडियो पर कमलेश माहेश्वरी और हेतप्रकाश व्यास की खास पेशकश-

नंदन नीलेकनी और रोहिनी नीलेकनी
इंफोसिस के संस्थापकों में से एक नंदन नीलेकनी और उनकी पत्नी रोहिनी की जोड़ी "मेड फॉर इच अदर" लगती है। आईआईटी मुंबई के एक कार्यक्रम में मुलाकात के बाद शुरू हुई नंदन और रोहिनी की प्रेम कहानी कम दिलचस्प नहीं है। अपने जमाने की मशहूर पत्रकार रही रोहिनी नीलेकनी कहती हैं कि माना, हम दोनों में फर्क है।

हमारे काम और विचारों में भिन्नता है लेकिन साथ निभाने की बात पर पिछले 28 वर्षो से मैं नंदन के साथ हूं। मैं एक फैमिली फाइटर हूं और नंदन बेहद कूल। वो कहते हैं कि जब उलझ जाओ तो सुलझने के लिए थोड़ा आराम कर लो और मैं कहती हूं कि ठहरो, पहले मुझे उलझे काम को सुलझा लेने दो। इंफोसिस की स्थापना से लेकर बहुचर्चित आधार कार्ड तक के नंदन के सफर में हमसाया बनकर चली रोहिनी कहती हैं कि समय के साथ रिश्ते वाकई मजबूत होते जाते हैं।

अब हम छोटी बातों पर नहीं उलझते क्योंकि "करने के लिए बहुत कुछ" करने का चैलेंज लेकरबड़े सपने सामने खड़े हैं। "अक्षरा फाउंडेशन" लेकर अब तक के मेरे सभी सामाजिक कार्यो की सफलता में नंदन का योगदान रहा है। नंदन ने मुझे लॉजिकली सोचना और उसके हिसाब से काम करना सिखाया है तो उन्होंने मुझसे सीखा है कि छोटे सुधार कैसे बड़े बदलाव लाते हैं। प्रेम, पत्नी और परिवार के बारे में नंदन का विचार है कि ये तीनों एक साथ गुंथे हुए हैं। तीनों धुरी भी है और तीनों ही उसके महत्वपूर्ण घटक भी हैं।

सिर्फ रोहिनी के बारे में नंदन कहते हैं, वे मुझे हमेशा नए इनपुट्स देती हैं। हालांकि कई मामलों में हम एक-दूसरे को टक्कर भी देते हैं। जैसे कि मैं बाजार से प्रेरित विचार रखता हूं तो उसकी सोच सामाजिक मुद्दों से जुड़ी होती है। यह अपने-अपने कार्यक्षेत्र के अनुभवों का प्रतिफल है। फिर भी बच्चे हो या करियर, जीवन के कई मौकों पर उनकी सलाह उपयोगी साबित हुई है। उनके सामाजिक कामों ने मुझमें भी नया नजरिया पैदा किया है।


महेश भूपति और लारा दत्ता
दे श के सबसे सफल टेनिस खिलाड़ी और बॉलीवुड की बोल्ड रूपसी की यह जोड़ी भी मानो एक-दूसरे के लिए ही बनी हो। हालांकि इससे पहले भी कई बार बॉलीवुड और खेल जगत के बीच सात फेरों के बंधन बंधें हैं लेकिन महेश-लारा का बंधन कुछ खास है। मसलन-सगाई न्यूयॉर्क में और घोषणा टि्वटर पर। तुरत-फुरत शादी और फिर महीनों तक मिलना नहीं। शादी के कुछ ही महीनों में दोस्ती और फिल्मों के नाम पर रिश्ते तोड़ने की सुर्खियां बटोरना और फिर फटाफट ममी-पापा बन जाना।

पिछले महीने महेश और लारा के घर बेटी जन्मी है जिसका नाम सायरा रखा जाना तय हुआ है। करीब दो साल डेटिंग के दौरान इस जोड़ी ने एक-दूसरे का भरोसा जीता। लारा कहती है कि, हम साथ रहकर बेहद खुश हैं और नए सपनों को जी रहे हैं। शादी के मामले में महेश की यह दूसरी पारी है। पहली मॉडल पत्नी श्वेता जयशंकर से उनके रिश्ते जड़ नहीं पकड़ पाए। लारा दत्ता भी केली दोरजी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रही हैं लेकिन, बिगड़े कल को सुधारते हुए इस जोड़ी ने नए आज में प्रवेश किया है और वह भी एक परिवार के रूप में।

शशि थरूर और सुनंदा पुष्कर
पि छले दो साल से सुर्खियों में रही शशि और सुनंदा की जोड़ी वाकई मिसाल है। कई विवादों के बीच इन दोनों हस्तियों ने आखिर में रिश्तों के लिए बड़ी कुर्बानियां दी। दोनों पहले से तीन-तीन बार शादीशुदा हैं, दोनों के बच्चे भी अपनी जोडियां बनाने की उम्र में पहुंच चुके हंै बावजूद इसके ये साथ हैं।

पिछले साल अगस्त में शादी की पहली सालगिरह मना चुकी यह जोड़ी अपने रिश्तों को लेकर बहुत खुलकर लेकिन मजबूती से सामने आई है। अपने करिअर में तमाम सोची-अनसोची ऊंचाइयां और अनुभव पाने के बाद अब ये दोनों साथ है तो इससे साबित होता है कि पाने से ज्यादा मजा बांटने में आता है।

दोस्तों और परिवार के साथ प्यार से बांटे कुछ लम्हे अनमोल यादें बनकर रह जाते हैं। समझौतों और सहूलियतों से रिश्तों को निभाने की कला इस जोड़ी को अब आ गई है। एक-दूसरे के प्रति समर्पण देखकर कहा जा सकता है कि दोनों का दाम्पत्य जीवन बेहद खूबसूरत होगा।


प्रहलाद कक्कड़ और मिताली दत्त
वे दोनों कई मायनों में बेहद एक जैसे हैं। बेहद क्रिएटिव, मजाकिया, खाने-पीने और एडवेंचर के शौकीन यह जोड़ी जहां जाती है, अपने रिश्तों की खूशबू छोड़ जाती है। पिछले 27 वर्षो से एक-दूसरे के लिए जीने को मिताली कहती है, वक्त हंसते-खेलते गुजर जाए इससे अच्छा और क्या होगा। प्रहलाद अपने फील्ड में बहुत आगे हैं और मैं बेहद भाग्यशाली हूं कि हम साथ हैं।

स्कूबा डायविंग और समुद्र से जुड़ाव अब प्रोफेशन के साथ एक वेलफेयर मूवमेंट बन गया है। "रीफ वाच मरीन कंजरवेशन" एनजीओ के जरिए मैं कुदरत से हमारे रिश्तों को संजोए रखने की कोशिश कर रही हूं। प्रहलाद मेरे साथ है और हम कुदरत से प्रेरणा लेकर अपने रिश्तों को पवित्र और मजबूत बनाए हुए हैं।

रजनीकांत और लता रंगचारी
पिछले 31 वर्षो से एक-दूसरे का साथ निभाते आ रहे दक्षिण के महानायक रजनीकांत और लता रिश्तों को बनाए और बचाए रखने में यकीन करते हैं। रजनीकांत ने सड़क से उठकर शिखर पर पहुंचे तो बेहद पढ़ी-लिखी और प्रतिष्ठित अयंगर परिवार से संबंध रखने वाली लता ने बेहद संजीदगी से रिश्तों को निभाया है।


अ स्सी के दशक की उभरती प्लैबेक सिंगर लता अपने कॉलेज की पत्रिका के लिए एक इंटरव्यू के दौरान रजनीकांत से मिली थी और उसके आगे की कहानी सच्ची प्रेम कहानी लगती है। लता के प्रभाव में रजनी धार्मिक और बेहद सामाजिक बने।

गुणवान और हर मोर्चे पर सक्रिय पत्नी, दो होनहार बेटियां और असीम शोहरत, वाकई रजनीकांत बहुत भाग्यशाली हैं। परिवार और प्रोफेशनल लाइफ को संतुलित तरीके संभाल रही लता रजनी की शक्ति हैं। यही वजह है कि वे उन पर पूरा हक जताती हैं। पिछले साल रजनी की बीमारी और उनकी मौत की अफवाह उड़ने पर पहली बार मुंह खोलते हुए लता ने कहा, वे बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगे क्योंकि उन्हें अभी बहुत से अच्छे काम करने हैं।

चेतन भगत और अनुषा
इ स जोड़ी की कहानी वाकई फिल्मी लगती है। मशहूर लेखक चेतन भगत और यूएसबी, मुंबई की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर अनुषा भगत की प्रेम कहानी में वो सारे टि्वस्ट हैं जो एक अच्छी स्क्रिप्ट में होने चाहिए। चेतन ठहरे ठेठ पंजाबी मुंडे से और अनुषा परंपरागत तमिल ब्राह्मण परिवार की संस्कारी बेटी । दोनों अहमदाबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में मिले।

साथ पढ़ते हुए करीब आए, प्यार हुआ और बात शादी तक पहुंची। दोनों की एक ही शर्त थी शादी तो करेंगे लेकिन घर वालों को मनाकर ही। आगे कई रोड़े और अड़चने आई लेकिन चेतन और अनुषा ने धैर्य के साथ अपने रिश्ते को अंजाम तक पहुंचाया। अपनी इस रोमांटिक और ट्रेजडी से भरी शादी को आधार बनाकर चेतन ने एक उपन्यास "टू स्टेट्स : द स्टोरी ऑफ माय मैरिज" लिखा है।


वरूण गांधी और यामिनी
व रूण गांधी ने कोलकाता की यामिनी के साथ जब अपनी पांच साल पुरानी दोस्ती को रिश्तों में बदला तो यह गांधी परिवार के सबसे छोटे का बड़ा कदम माना गया। मां के आशीर्वाद से पनपा यह रिश्ता गांधी परिवार में प्रेम विवाह का पांचवां मौका था जब प्रेम को सभी बंधनों से ऊपर रखा गया।

वरूण और यामिनी दोनों की खासियत है विचारों में खुलापन और पसंद का काम करने में आजादी। शांति निकेतन से दिल्ली और पेरिस तक की पढ़ाई से यामिनी ने खुद को लायक बनाया तो दूसरी ओर वरूण भी परिवार की छाया से दूर खुद को राजनीति के सबकों से तपाने मेें लगे हैं। दोनों अपने रिश्तों को पसंद-नापसंद को सुर्खियों से दूर चुपचाप जीने में यकीन रखते हैं।

और भी हैं...
सचिन तेदुलकर (क्रिकेटर) : अंजली तेंदुलकर (डॉक्टर)
राहुल द्रविड़ (क्रिकेटर) : विजेता द्रविड़ (डॉक्टर)
अनिल अंबानी (बिजनेसमैन) : टीना अंबानी (अभिनेत्री)
भरत ठाकुर (योग गुरू) : भूमिका चावला (अभिनेत्री)
माधुरी दीक्षित (अभिनेत्री) : श्रीराम नेने (डॉक्टर)
विक्रम हाजरा (आध्यात्मिक वक्ता): टीना पारेख (अभिनेत्री)