रविवार, 24 नवंबर 2013

दफ्तर में हो यौन शोषण, तो कैसे बचाएगा कानून ?

यौन शोषण की ज्यादत्तर घटनाओं में पीडिता इसे छोटी घटना मानकर नजरअंदाज कर देती है। लेकिन यहां पर सवाल यह पैदा होता है कि अक्सर इसे छोटी घटना क्यों मान ली जाती है। भारत में कानून कार्यस्थल पर यौन शोषण से बचाव करता है। हालांकि कई महिलाओं इस तरह के कानून से वाकिफ ही नहीं है। हम आपकों बताते हैं कि किस तरह से कानून आपका यौन शोषण से बचाव करता है।


क्या है यौन शोषण-
सैक्सुएल ह्रेसमेंट ऑफ वुमेन एट वर्कप्लेस एक्ट 2013 कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन शोषण को कवर करता है। इस कानून को लोकसभा में सितंबर 2012 में पास किया गया था और राष्ट्रपति ने इसे 2013 में मंजूरी दी थी। कानून के तहत यौन शोषण क्या है इस पर एक नजर...

-यौन शोषण के इरादे से नौकरी के लिए गलत वादा करना

- यौन शोषण के इरादे से नौकरी के दौरान उसे किसी भी तरह की धमकी देना

- यौन शोषण के इरादे से नौकरी से निकाले जाने की धमकी देना

- काम में हस्तक्षेप करना और उसके लिए काम करने का गंदा माहौल बनाना

- उससे ऎसा काम करवाना जो कि उसके स्वास्थय और सुरक्षा के लिहाज से सही ना हो

- शारीरिक संपर्क और गलत इरादे से छूना

-यौन संबंध के लिए कहना

-भद्दी टिप्पणी करना

-अश्लील कंटेंट दिखाना


इंटरनेशनल लेबर ऑफिस क्या कहता है ?

इंटरनेशनल लेबर ऑफिस के मुताबिक शारीरिक संपर्क, शारीरिक हिंसा, चुट्टी काटना, छूना, नौकरी से निकालने की धमकी, यौन शोषण के लिए विशेष अवार्ड देना, कर्मचारी की पर्सनलिटी पर कमेंट करना, उम्र पर कमेंट , निजी जिंदगी पर कमेंट, गंदे कमेंट, अश्लील कहानी और जोक्स सुनाना, जबरदस्ती यौन शोषण करना, लिंगभेद, बार-बार सोशल साइट्स कि रिक्वेस्ट भेजना और माता-पिता को लेकर टिप्पणी करना यौन शोषण में शामिल है।


क्या करता है राष्ट्रीय महिला आयोग ?

राष्ट्रीय महिला आयोग का कम्पलैन और काउंसिल सैल मौखिक और लिखित तौर पर मिली यौन शोषण की शिकायतों के आधार पर कार्रवाई करती है। आयोग इस पर अपनी मर्जी से भी कार्रवाई कर सकता है। ऎसे मामलों में आयोग पुलिस को कार्रवाई करने के लिए दबाव डाल सकता है। आयोग मामले की पुलिस जांच की निगरानी और पीडिता को न्याय दिलाने लिए उचित कदम उठाने के लिए राज्य के उच्च अधिकारियों के सामने रख सकता है। गंभीर अपराध में आयोग जांच कमेटी बना सकता है जो कि जांच करती है, गवाहों की सुनवाई, सबूत इकठ्ठे करती है और अपनी रिपोर्ट सिफारिशों के साथ जमा कराती है।


महिलाओं के लिए हेल्पलाइन

ऎसी घटनाओं से बचाव के लिए महिलाओं के लिए सरकार ने एक नेशनल वुमेन हेल्पलाइन बनाई हुई है। ऎसी घटना होने पर 1091 या 1291 पर कॉल करके सुरक्षा मांग जा सकती है।


क्या कहती हैभारतीय दंड संहिता

भारतीय दंड संहिता कई धाराओं के साथ यौन शोषण से पूरी तरह से बचाव करती है। यौन शोषण के आरोप में आइपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाता है। एक नजर यौन शोषण पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं पर ...

आइपीसी सेक्शन 292-294 - अश्लीलता के साथ पेश आना

आइपीसी सेक्शन 354- बलपूर्वक लज्जाभंग पर

आइपीसी सेक्शन 375 - रेप करने पर

आइपीसी सेक्शन 509 - अश्लील शब्द, टिप्पणी और भावमुद्रा के साथ पेश आना पर


क्या करे नियोक्ता ?

सैक्सुएल ह्रेसमेंट ऑफ वुमेन एट वर्कप्लेस एक्ट 2013 नियोक्ता को अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कई सारे प्रबंध करने के लिए पाबंद करता है। एक नजर जो एक नियोक्ता को करना चाहिए...

-कर्माचरियों को काम करने का सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराना, ऑफिस के काम से बाहर जाने पर सुरक्षा सुनिश्चित करना

- ऎसी घटना संज्ञान में आने पर जांच करवाना

- इस मुद्दे पर जारूकरता प्रोग्राम और वर्कशॉप आयोजित कराना

- निष्पक्ष जांच के लिए आंतरिक कमेटी बनाना

- जांच कमेटी, पीडित और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना

- पीडित अगर शिकायत दर्ज कराना चाहती है तो उसे हर एक सुविधा मुहैया कराना

- आतंरिक कमेटी की निगरानी और उसकी रिपोर्ट लेते रहना है

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