बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

तूफान.....ने दिया संपादको को सर खुजाने का मौक़ा


सानिया मिर्ज़ा की निजी ज़िंदगी में एक तूफ़ान खामोशी से गुज़रा है लेकिन वो तूफान अब हिन्दी पत्रकारिता के फटीचर काल की शोभा बढ़ाने के काम आ जाएगा। सानिया का ब्रेक अप ब्रेकिंग न्यूज़ है। सारे गली मोहल्ले के रिश्ते विशेषज्ञ बुलाये जायेंगे। वो समझायेंगे दोस्ती और सगाई के बीच की यात्रा। वो बतायेंगे कि कैसे आज कल कामयाबी के दबाव से रिश्ते दरक जा रहे हैं। बीच बीच में फाइल फुटेज में दांते निपोड़ती सानिया की पुरानी तस्वीर इस मनोचिकित्सक की बात को तसदीक करेगी। कोई सगाई का कार्ड दिखा रहा है तो कोई सोहराब मिर्ज़ी की तस्वीर। अनुप्रास क्षमता से लैस आउटपुट संपादक आज स से शुरू होने वाले तमाम द्विअर्थी शब्दों को निकाल कर वाहवाही प्राप्त करेंगे। टीवी स्क्रिन को ऊर्जा से भर देंगे।सानिया ने सगाई तोड़ कर फटीचर काल के हम संपादकों की कल्पनाशीलता को नई उड़ान दे दी है। इसी बहाने कोई चैनल कॉल इन शो करेगा तो कोई क्यों नहीं टिकती सेलिब्रिटी की शादियां पर पूरा फीचर बना देगा। एंजोलिनी का भी ब्रेक अप होने वाला है। सानिया का हो गया। करीना का भी किसी से टूटा था। प्रीटी ज़िंटा का भी ब्रेक अप हो गया है। कोई यह बतायेगा कि कहीं सानिया की ज़िंदगी में कोई दूसरा तो नहीं आ गया। एक न एक चैनल ज्योतिष और टैरॉट कार्ड रीडर का भी बुलायेगा। एक बतायेगा कि इस बदमाश राहू के कारण सब हो रहा है वही सोहराब के घर में घुस कर फूट डाल रहा है।बवाली रिपोर्टर आज सानिया-सोहराब के घर से बाहर लाइव चैट दे रहे होंगे। बल्कि देने लगे हैं। रेटिंग की नाजायज़ औलाद आज की हिन्दी टीवी पत्रकारिता अपना प्रतिकार करेगी। जावेद अख्‍तर की किसी बची खुची स्क्रिप्ट के किसी किरदार की तरह। जो गुंडा बन कर सिस्टम से प्रतिकार करता है। जावेद अख्तर के इस अप्रतिम योगदान और इससे उपजे अमिताभ बच्चन की शोहरत का मर्म किसी ने समझा है तो हम हिन्दी के पत्रकारों ने। टीवी आज चित्कार मार मार कर बतायेगा कि सानिया और सोहराब के बीच क्या हुआ। टाइम्स ऑफ इंडिया की इस ख़बर ने वो आग दे दी है जिसमें हम सब जलेंगे। अभी अभी ईमेल आया है कि एनडीटीवी इंडिया इस खबर को नहीं दिखायेगा। तो भी मैं अपने आपको इस पतित धारणी हिन्दी पत्रकारिता से अलग नहीं करूंगा। बहने दो इस कीचड़ में खुद को। कादो लपेट कर शरीर को ठंडक पहुंचती है। मज़ा आता है। कीचड़ समानार्थी है। ऐ अर्जुन, रख दे गांडीव। देख हिन्दी टीवी पर क्या आ रिया है। कृष्ण के इस उवाच से घबराया अर्जुन कहता है कि मैंने जब तीर ही नहीं चलाया तो सानिया की सगाई कैसे टूट गई देव। कृष्ण- अर्जुन,कमानों में तीरों को सड़ने के लिए छोड़ दे। सानिया के बाप का एसएमएस आया है। ख़बर कंफर्म है। संपादकों की मंडली एनबीए,पत्रकारिता के इन महान पर्वतीय शिखरों पर आने वाले वक्त में नाज़ करेगी। एक ईमेल भेजेगी। तब तक मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव से आलोचक जल कर खाक हो जाएंगे। सच कहूं मुझे यह गंदगी रास आती है। धूल से बेहतर कीचड़ है। अहा..काश भैंसों के इस परमानन्द को गायें समझ पातीं। गया पहुंचने से पहले ही हाजीपुर में गंगा किनारे किचड़ में धंस गया होता,अपना गौतम। आओ,मुझे भी गाली दो। मैं भी इस कीचड़ के आनंद का सहभागी हूं। आओ। कहां हो गौतम। पत्रकारिता के महामण्डलेश्वरों को कलक्टर के दफ्तर में बुलाकर पूछो,किसकी नैतिकता का झंडा सबसे बुलंद है। अखाड़ों में पलता है सनातन धर्म। नंग-धड़ंग डुबकी लगाकर मुक्ति का मार्ग बताता है। जाओ अर्जुन,तुम भी इसी मार्ग से जाओ। कृष्ण की आवाज़ गूंजती है। करनाल में सोये लोग जाग जाते हैं। उठ कर हिन्दी टीवी लगा देते हैं। कृष्ण कहते हैं- सानिया मिर्ज़ा और सोहराब की चंद रातों से मिलता जुलता कोई हिन्दी फिल्म का गाना है रे। पूछ तो भीम से। बोल ओही बजावेगा। तनी सेंटी होकर कुरूक्षेत्र में रिलैक्स किया जाये रे। हटाओ इ अर्जुनवा के। जब देख तब तीरे तनले रहता है। सब लड़इयां इहे लड़ेगा का रे। सेव दुर्योधन। सेव कर्ण। बचाओ। जब सबका संरक्षण हो रहा है तो इ सभन के काहे मार रहा है रे अर्जुन। देख न। लाइव हिन्दी टीवी का महाभारत। चल रिलैक्स करते हैं। कृष्ण- आज ही टीवी पर बेलमुंड ज्योतिष बोल रहा था- वृश्चिक- आज आपके ख़िलाफ साज़िश होगी लेकिन आज आराम महसूस करेंगे। व्हाट अ टाइम सर जी। साज़िश में भी आराम।

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