शुक्रवार, 5 मार्च 2010

लेबल असली, दवा नकली

राजेश त्रिपाठी
कोटा। अस्पतालों में बीमारियों से जूझ रहे गंभीर रोगियों को "जिंदगी" देने वाली दवा भी उनकी जिंदगी को "खतरा" पैदा कर सकती है। गत वर्ष कोटा में जब्त हुई एंटीबायोटिक दवा जांच में "नकली" साबित हुई। संभवत: कोटा में अब तक का ये पहला मामला है। जिंदगी के दुश्मन "असली" की आड़ में "नकली" दवा बेचकर "चांदी" कूट रहे हैं। हो सकता है कि अभी भी ये नकली दवाएं बाजार में धड़ल्ले से बिक रही हों! हुआ यूं कि औषधि नियंत्रण विभाग की ओर से गत वर्ष एमबीएस अस्पताल में जब्त एंटीबायोटिक दवा हाल ही आई जांच रिपोर्ट के अनुसार सरकारी प्रयोगशाला में "नकली" निकली है। दरअसल जो दवा लिखी गई थी, उसी का लेबल शीशी पर लगा था, लेकिन शीशी के अंदर कोई और दवा निकली। औषधि नियंत्रण विभाग ने कार्रवाई के लिए जयपुर के औषधि नियंत्रक से अनुमति मांगी है। रिपोर्ट आने के बाद दवा विक्रेताओं में भी हड़कम्प मचा हुआ है।
ये था मामला
अस्पताल के ईएनटी वार्ड में बारां जिले के नारायणपुरा गांव निवासी सत्यनारायण पांचाल का कान का ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन से पूर्व 31 जुलाई 2009 को विभागाध्यक्ष के निर्देश पर कंपाउण्डर द्वारा लिखी दवाइयां परिजनों ने नयापुरा स्थित आदित्य मेडिकल स्टोर से खरीदी। दवाओं में ब्रांडेड इंजेक्शन "आईक्यू जिड" भी था। एक अगस्त को ऑपरेशन के बाद वार्ड नर्स ने नकली होने की आशंका जताते हुए इंजेक्शन लगाने से इनकार कर दिया। बाद में औषधि निरीक्षक ने जांच के लिए दवा का सैंपल लिया था।
ये थी गड़बड़ी
दवा की शीशी के लेबल के अनुसार दवा में सेप्टीजाइडिम साल्ट होना चाहिए था, लेकिन जांच में सेप्ट्रामऑक्सिन साल्ट पाया गया। दोनों एंटीबायोटिक हैं, लेकिन गुणवत्ता में काफी अंतर है। जांच में ऎसा माना गया कि दवा कंपनी में नहीं बनी। सारा हेरफेर कोटा में ही किया गया।
कूट रहे चांदी
नकली दवाओं के इस खेल में दवा विक्रेताओं व अन्य लोगों की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता। लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए ये लोग "चांदी" कूटने में लगे हुए हैं। सेप्टीजाइडिम की वायल 290 रूपए की आती है और सेप्ट्रामऑक्सिन की वायल 30 रूपए की। यानि रोगी को 30 रूपए की दवा 290 रूपए में बेच दी जाती है। कई बार इन दवाइयों से रोगी को गंभीर नुकसान भी हो जाता है, लेकिन इसकी परवाह किसे है।
कब-कब आए नकली दवा के मामले
* 2007 में पुलिस ने शिवपुरा के एक मकान से नकली के संदेह में दवाएं जब्त की। मामले में पुलिस ने बाद में रूचि नहीं ली।
* 22 जुलाई 2009 में एंटीबायोटिक दवा के नकली होने के संदेह में एमबीएस अस्पताल में हंगामा।
* 2 अगस्त 2009 एमबीएस के ईएनटी वार्ड से नकली होने के संदेह में दवा जब्त की।
* औषधि नियंत्रण विभाग ने अभियान चला कर जनवरी में कोटा संभाग में 15 दवाओं के सैंपल लिए।
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यह दवा नयापुरा स्थित आदित्य मेडिकल स्टोर से खरीदी गई थी, जो जांच में नकली पाई गई। दुकान के संचालक उपेन्द्र पारेता के खिलाफ अदालत में चालान पेश करने की औषधि नियंत्रण कार्यालय से अनुमति शीघ्र मिलने की आशा है।-देवेन्द्र गर्ग, औषध निरिक्षका

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