मंगलवार, 6 अप्रैल 2010

वन्यजीवों के कंठ सूखे


राजेश त्रिपाठी
कोटा। गर्मी बढ़ते ही दरा अभयारण्य के प्यासे वन्य जीव लम्बा रास्ता तय कर गांवों में आने लगे हैं। ऎसे हालात में अभयारण्य में पानी उपलब्ध कराने की वन विभाग की तैयारियां ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। गावों की तरफ पलायन वन्य जीवों व ग्रामीणों के लिए खतरनाक भी हो सकता है। अभयारण्य में जगह-जगह बने एनीकट और पानी की टंकियां सूखी पड़ी हैं, वहीं प्राकृतिक जल स्त्रोत भी रीत चुके हैं।

दरा में पेंथर, हरिण, चीतल, जंगली सुअर, नीलगाय, खरगोश, बंदर समेत विभिन्न प्रजातियों के हजारों वन्यजीव और पक्षी हैं। यदि हालात नहीं सुधरे तो आने वाले दिन वन्य जीवों के लिए भयावह हो सकते हैं।
पत्रिका संवाददाता ने कोलीपुरा से दरा तक करीब चालीस किलोमीटर लंबे इस अभयारण्य का दौरा तक हालात का जायजा लिया। यहां गांवों में तो पेयजल सुलभ हैं, लेकिन अभयारण्य क्षेत्र में बनाए गए दर्जनों एनिकट सूखे पड़े हैं। इस विशाल जंगल में केवल अभयारण्य के प्रवेश द्वार के पास ही दो स्थानों पर पानी नजर आया।

गिरधरपुरा के आगे सूखा

कोलीपुरा से गिरधरपुरा के बीच दो स्थानों पर पानी है, जिनमें एक स्थान पर कुआं है। गिरधरपुरा में तालाब बना हुआ है, जिसमें पानी रीतने लगा है। अगले कुछ दिनों में ये तालाब मैदान में तब्दील होने वाला है। गिरधरपुरा से आगे पानी की व्यवस्था नहीं है। पानी के अभाव में इस इलाके में वन्यजीव भी कम नजर आते हैं। इससे आगे अम्बापानी में बरसों पुराना प्राकृतिक जलस्त्रोत है। इसमें एक पहाड़ी से पानी आता है, जो काफी कम है। यहां एक गaे में गंदा पानी भरा हुआ है, जहां वन्यजीव नहीं आते।

भटकते रहते हैं वन्य जीव

लक्ष्मीपुरा के नानूराम के अनुसार, गिरधरपुरा से दामोदरपुरा पंद्रह किलोमीटर दूर है। इसके बीच में कोई जलस्त्रोत नहीं है। दामोदरपुरा से लक्ष्मीपुरा पांच किलोमीटर है। यहां भी वही स्थिति है। ऎसे में वन्य जीव पेयजल के लिए इन गांवों के बीच ही भटकते रहते हैं। गांवों में रहने वाले हजारों मवेशी भी इन्हीं जलस्त्रोतों पर निर्भर हैं। लक्ष्मीपुरा में वन विभाग के कर्मचारी ने बताया कि रात के समय लक्ष्मीपुरा में अलग-अलग समूहों में वन्यजीव पानी के लिए आते हैं। दामोदरपुरा में काफी आबादी है। वहां भी रात को अंधेरे में वन्यजीव पानी की तलाश में पहंुचते हैं।

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