शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

हमारी नाकामी के धमाके

आम तौर पर माना जाता है कि आतंकी अपने हमलों की जगह बदलते रहते हैं, तो फिर ये सवाल उठना लाजिमी है कि भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई पर बार-बार आतंकी हमले क्यों हो रहे हैं? 26 नवंबर 2008 की रात पाकिस्तान से समुद्री रास्ते से आए महज 10 आतंककारियों ने मुंबई पर जो हमला बोला था, उसके बाद मुंबई में यह आतंकी विस्फोटों की पहली वारदात है। मुंबई में भीड़भाड़ वाली तीन जगह बुधवार शाम करीब 7 बजे लगभग एक साथ किए गए आतंकी बम विस्फोट में कितने लोग मरे और कितने घायल हुए ये आंकड़े अभी स्थिर नहीं हुए हैं, लेकिन लोग यह पूछने लगे हैं कि मुंबई और खासकर झवेरी बाजार पर क्यों होते हैं बार-बार आतंकी हमले? कहीं यहां होने वाला बड़ा वाणिज्यिक कारोबार ही इसकी जान की आफत तो नहीं बन गया है?

केन्द्रीय गृह सचिव, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री के बयानों में व्याप्त तथ्यपरक अंतर यह संकेत देता है कि हमारे देश में शासकों की तथ्य संकलन टीम में कोई सामंजस्य नहीं है। जब सरकारी सूचनाओं में अराजकता है, तो मीडिया में भी यह कमोबेश झलकता ही है। आतंकी हमलों के बारे में सरकार कितनी सतर्क है, यह इस तथ्य से पता चलता है कि इस तरह के हमलों में शामिल गिरोहों-संगठनों के इलाकों को आज तक हम खोज नहीं पाए और अगर हम ऎसे दुश्मन संगठनों के अड्डों को जान भी रहे हैं, तो उन पर हमला बोलने की हमारी हिम्मत नहीं है। हमारे पास उनके सायबर कम्युनिकेशन को हमले से पहले ही पकड़ने की क्षमता नहीं है। मुंबई पर हमला करने वाले कहां गए पुलिस नहीं जानती?

दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये वारदात तब हुआ, जब केंद्र सरकार और उसके अफसर केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद के बंदोबस्त और संसद के 1 अगस्त से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र की तैयारी में लगे हुए हैं और पूरा देश भ्रष्टाचार के मामलों से उद्वेलित है। यह भी गौरतलब है कि मुंबई के इन आतंकी विस्फोटों पर हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बयान साढ़े तीन घंटे बाद रात 10.35 पर आता है। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के बयान के महज 15 मिनट पहले! हम इतने सुस्त क्यों नजर आते हैं? धमाकों के अगले दिन दिल्ली से मुंबई पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की उपस्थिति में एक प्रेस कॉन्ंफ्रे न्स में माना कि यह आतंकी हमला है। मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। अब तक 18 लोगों की जान गई और 131 घायल हुए हैं। घायलों में से 23 की हालत चिंताजनक है।

चिदंबरम के अनुसार, ये धमाके समन्वित आतंककारी कार्रवाई हैं। उन्होंने यह सवाल टाल दिया कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि हालांकि इन हमलों के बारे में कोई पूर्व खुफिया सूचना नहीं थी, लेकिन इसे गुप्तचर एजेंसियों की विफलता नहीं मान सकते। यह कोई नई बात नहीं, अपनी विफलता स्वीकार करने में सरकारें हमेशा से पीछे रही हैं? तीन में से दो धमाके दक्षिण मुंबई के अत्यधिक भीड़भाड़ वाले झवेरी बाजार और ऑपेरा हाउस इलाके में हुए। शहर के सबसे व्यस्त और पुराने इलाकों में पसरे ये बाजार संकरी गलियों में हैं, जिनमें दोनों ओर दुकानें हैं। ये बाजार सोना और हीरा कारोबार के केंद्र हैं। एक विस्फोट मारूति एस्टीम कार में हुआ और दूसरा विस्फोट मोटरसाइकिल में हुआ। तीसरा विस्फोट मध्य मुंबई में दादर के कबूतरखाना इलाके में एक बस स्टॉप सेल्टर पर हुआ, जहां काफी भीड़ होती है। जाहिर है, ये धमाके ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की नीयत से किए गए थे। तीनों विस्फोट शाम 6.50 बजे से 7.05 बजे के बीच 15 मिनट के भीतर तब हुए, जब उन जगहों पर काम करने वाले ज्यादातर लोग अपने घर लौटने की तैयारी में लगे थे और उनमें से बहुतेरे खाने-पीने की दुकानों के आगे जमा थे। झवेरी बाजार में तो आतंकी धमाकों की यह तीसरी घटना है, जबकि कहा जाता है कि आतंकी अपना निशाना बदलते रहते हैं।

जैसा कि हमेशा होता है, विस्फोट के बाद महानगर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। रेलवे स्टेशन, सड़कों, हवाई अaों और अन्य संवेदनशील स्थानों पर पुलिस बंदोबस्त बढ़ा दी गई है। हमेशा की तरह मुख्यमंत्री ने मुआवजे का ऎलान किया है। घायलों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार ने उठाने का आश्वासन दिया है, लेकिन इन इंतजामों से क्या फर्क पड़ेगा? क्या अब विस्फोट नहीं होंगे? मूल सवाल तो यही है, जिसका जवाब लोग सरकार से चाहते हैं। धमाकों के पीछे देश में फले-फूले एक ऎसे आतंकी संगठन का हाथ होने का संदेह बढ़ रहा है, जो मुंबई में ही नहीं, देश के अन्य हिस्सों में भी इस तरह के हमलों के लिए दोषी रहा है। पुलिस के अनुसार सभी धमाकों में आईईडी का इस्तेमाल किया गया है, जो रिमोट कण्ट्रोल से करवाए गए विस्फोट से कुछ ही पहले लगाए गए थे।
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज के प्राध्यापक प्रो. ईश मिश्र ने मुंबई में आतंकी धमाकों की शाम गुजर जाने के बाद एक मार्मिक कविता लिखी है :

फिर आई खबर मुंबई में बम फटने की,
सैकड़ों निर्दोषों के मरने की, नहीं है यह कोई बात नई,
सदियों पहले इसकी शुरूआत हुई,
होता आ रहा है यह तब से, बारूद का ईजाद हुआ जब से, जिसके पास बारूद का जितना बड़ा जखीरा,
मारे उसने उतने ही इन्सान, लूटा सोना-चांदी-हीरा,
लूटता रहा संसाधन आमजनों का,
जारी है अभी भी उसका यह अभियान,
समझ चुका है बम का खेल आज का इन्सान,
खत्म कर देगा वह बम-गोलों का खेल,
इन्सानियत के उसूलों से है नहीं जिसका मेल,
बनाएगा ऎसी दुनिया फूले-फलेगी इन्सानियत जिसमें,
बम-गोलों से नहीं रहेगी वाकफियत उसमें।

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