रविवार, 20 जून 2010

देर भी अंधेर भी


सात दोषियों को दो साल की सजा, जमानत पर छूटे
भोपाल। दुनिया की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी को लेकर चल रहे मुकदमे में जिला अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए यूनियन कार्बाइड के चेयरमैन केशव महेंद्रा सहित 7 आरोपियों को दोषी ठहराया। सभी को दो-दो साल सश्रम कारावास व 1.01 लाख रूपए जुर्माने और यूनियन कार्बाइड को 5.01 लाख रूपए जुर्माने की सजा सुनाई गई।

हालांकि दोषी जेल नहीं पहुंच सके।
उनकी ओर से धारा 389 के तहत पेश आवेदन स्वीकार कर लिया गया। अब वे एक माह में सेशन कोर्ट में अपील कर सकेंगे। आरोपियों ने 25-25 हजार का जमानत-मुचलका पेश किया, जो स्वीकार कर लिया गया।

उल्लेखनीय है कि भोपाल गैस कांड पर 26 साल बाद सोमवार को फैसला आने के बाद मोइली ने फैसले पर असंतुष्टि जताई थी। मोइली ने कहा था कि इस मामले में फैसला बहुत देर से आया और इसे व्यावहारिक रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इस मामले में न्याय को दबा दिया गया। इस मामले में एक फास्ट ट्रेक अदालत की जरूरत थी जो मामले की जांच कर दोषियों को सजा दिला पाती।

जुर्माना सुनते ही मुस्करा दिए दोषी
कोर्ट में यूका के चेयरमैन केशव महेंद्रा सहित 6 आरोपी मौजूद थे। फैसला मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मोहन प्रकाश तिवारी ने सुनाया, जिसे सुन आरोपियों ने राहत की सांस ली। उन्हें भारी जुर्माने और मुआवजे की उम्मीद थी। इसके बाद आरोपियों के चेहरे पर मुस्कान आ गई। सबने चंद पलों में जुर्माना राशि जमा करा दी।21;री वीरप्पा मोइली, रसायन और उर्वरक मंत्री अलागिरी, शहरी विकास मंत्री एस जयपाल रेड्डी, शहरी गरीबी निवारण मंत्री कुमारी शैलजा और विज्ञान और तकनीक राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण शामिल है। जीओएम इस तरह के मामलों में आपराधिक जिम्मेदारी तय करने और पीडितों को मुआवजे बढ़ाए जाने संबंधी नियमों पर विचार करेगा।

इससे पहले, मध्यप्रदेश सरकार ने बुधवार को ही इस मामले की नए सिरे से समीक्षा के लिए समिति गठित करने की घोषणा की। इस पांच सदस्यीय कमेटी में शामिल कानून के जानकार नए सिरे से भोपाल गैस कांड की समीक्षा कर सरकार को सिफारिश देंगे। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमेटी गठित करने का ऎलान करते हुए कहा कि इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। पीडितों के साथ न्याय नहीं हुआ। गैस कांड के पीडित अदालत के फैसले से खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले की नए सिरे से समीक्षा के लिए एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है। यह कमेटी 10 दिनों में अपनी शुरूआती रिपोर्ट देगी और एक महीने के भीतर अंतिम जांच रिपोर्ट पेश कर देगी। कमेटी की सिफारिशें मिलने के बाद उच्च न्यायलय में अपील की जाएगी। चौहान ने कहा कि सिफारिशों के आधार पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों ने गैस कांड के 7 जून को आए फैसले को टू लेट, टू लिटिल करार दिया था।

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