शौक-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर। स्कूल की मिट चुकी तमाम स्मृतियों में से एक यही लाइन बची रह गई। बाकी आज तक नहीं समझ पाया कि दस बारह सालों तक स्कूल क्यों गया? बरसो से मन में कई बातों का तूफ़ान चल रहा है. दिल करता है की अब उसे शब्दों के पिरो दूँ . ब्लॉग के मंच पर पेश है मेरी अभिव्यक्ति.
शुक्रवार, 6 मई 2011
शोक सन्देश
आप सभी को ज्ञात होगा और अगर नहीं है तो बड़े दुःख के साथ सूचित किया जा रहा है कि जेहाद ( शान्ति दर्शन,धर्म निरपेक्षता ) के भगवान् श्री ओसामा बिन लादेन को कुछ निर्दयी हमलावरों ने हमला करके मौत के घात उतार दिया है जिसके लिए शोक संवेदना व्यक्त करने ...और उसके नाम का स्मारक बनाने कि मांग को लेकर एक शोक सभा और धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है आप सभी से प्रार्थना है कि शामिल होकर उस महान आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करें ...... निवेदक - श्री दिग्विजय सिंह( कांग्रेस प्रवक्ता, मंत्री ) शोकाकुल परिवार -- श्री दिग्विजय सिंह, दारुल उलूम देवबंद एवं समस्त भारतीय सेकुलर परिवार
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