शनिवार, 17 दिसंबर 2011

नामवर पिता, गुमनाम पुत्र


हर कामयाब पिता चाहता है कि उसका बेटा उससे भी ज्यादा शोहरत पाए, दौलत कमाए, लेकिन कुछ मामलों में ऎसा हो नहीं पाया। बात करें देश की उन चर्चित हस्तियों की जिनके बेटे पिता के कद से बहुत पीछे रह गए। प्रदीप कुमार का नजरिया-

रवींद्रनाथ-रतींद्र नाथ टैगोर
नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की पहले बेटे थे रतींद्रनाथ टैगोर। जिनको गुरूदेव खुदसे आगे देखना चाहते थे। रतींद्रनाथ का बचपन सुख सुविधाओं और बेहतर लालन पालन के बीच बीता। अच्छी तालीम के साथ-साथ वे संस्कारवान भी थे। जानने-पहचाने वाले लोगों की राय के मुताबिक रतींद्रनाथ काफी चार्मिग व्यक्तित्व के थे। रतींद्रनाथ का विवाह गुरूदेव ने प्रतिमा देवी से कराया। प्रतिमा देवी की पहली शादी नीलानाथ मुखोपाध्याय से हुई थी, जिसके असमय निधन के बाद वो विधवा हो गई थीं।

टैगोर के परिवार में यह विधवा विवाह का पहला उदाहरण था। लेकिन ऎसा लगता है कि ये शादी रतींद्रनाथ ने पिता के दबाव में की थी। पिता के 1941 में निधन के बाद उन्होंने प्रतिमा देवी से अलग रहना शुरू कर दिया था। इस दौरान रतींद्रनाथ अपने करियर में भी कामयाब हो रहे थे। उन्हें विश्वभारती विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया और वे इस पद पर 14 मई, 1951 से लेकर 22 अगस्त, 1953 तक रहे। लेकिन पत्नी से अलग होने के बाद उनकी दूसरी महिलाओं से रिश्ते भी बनने लगे थे।

ऎसा ही एक रिश्ता उन्होंने कोलकाता की मीरा चटर्जी के साथ बनाया, जिसको ना तो उन्होंने कभी स्वीकार किया और ना ही खंडन। यह रिश्ता 1948 से शुरू हुआ था और इसके बाद उठे विवादों के चलते ही रतींद्रनाथ को विश्वभारती छोड़नी पड़ी। लेकिन वे मीरा चटर्जी को नहीं छोड़ पाए। इस घटनाक्रम के बाद वे मीरा के साथ देहरादून आ गए। गौरतलब है कि रतींद्रनाथ और मीरा के उम्र के बीच 30 साल का फासला था। बहरहाल यह संबंध रतींद्रनाथ के 1961 में निधन तक बना रहा।


महात्मा गांधी और हरिलाल गांधी
महात्मा गांधी के बेटे हरिलाल का जन्म 1888 में हुआ था, वे जब बड़े हो रहे थे तब गांधी जी भौतिक सुख सुविधाओं से दूर होने लगे थे। लिहाजा हरिलाल का बचपन अभावों में बीता। यह दंश तब और मुखर हो गया जब बड़े होने पर हरिलाल ने वकालत की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाने की इच्छा जताई। लेकिन गंाधी ने उन्हें मना करते हुए कहा कि पाश्चात्य पढ़ाई की शैली भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में किसी तरह से काम नहीं आने वाली है।

इससे नाराज हरिलाल ने 1911 में अपने परिवार से नाता तोड़ लिया। वे हमेशा आरोप लगाते रहे कि पिता ने उनका ख्याल नहीं रखा और करियर बनाने में उनकी कोई मदद नहीं की। इस नकारात्मक प्रवृति ने हरिलाल गांधी का बड़ा नुकसान किया। उनकी शादी गुलाब देवी से हुई, जिससे उनके पांच बच्चे भी हुए। इनमें से दो का निधन बाल्यावस्था में हो गया।

हरिलाल गांधी की बड़ी बेटी रामीबहन की बेटी नीलम पारिख ने हरिलाल गांधी की जीवनी लिखी-"गांधी जी लॉस्ट ज्वेल-हरिलाल गांधी"। निस्संदेह हरी लाल गांधी बापू के खो गए बेटे साबित हुए। पिता से अलगाव के बाद भी वे अपने पिता के अंतिम संस्कार के लिए जब राजघाट पहुंचे तो ऎसी अवस्था में थे कि ज्यादातर लोग उन्हें पहचान ही नहीं सके। बापू के जाने के बाद हरिलाल गांधी छह महीने तक भी जीवित नहीं रहे। 18 जून, 1948 को मुंबई में उनका निधन हो गया।


देवआनंद और लाड़ला सुनील आनंद
फिल्मी दुनिया में देव आनंद का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। 1954 में देव आनंद ने मशहूर एक्ट्रेस कल्पना कार्तिक से शादी की। देव आनंद और कल्पना कार्तिक की सुपरस्टार जोड़ी के बेटे हैं सुनील आनंद। स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद सुनील विदेश गए। अमरीकन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन से उन्होंने बिजनेस एडमिनेस्ट्रेशन की पढ़ाई पूरी की।

लेकिन फिल्मी संसार के मोह से खुद को दूर नहीं रख पाए। पिता का इरादा भी बेटे को फिल्म जगत में स्थापित करने का था। एक्टिंग के गुर के साथ उन्होंने हांगकांग जाकर मार्शल आट्र्स के गुर भी सीखे। पिता ने 1984 में उनको लॉन्च करने के लिए "आनंद एंड आनंद" फिल्म बनाई। लेकिन कद्दावर पिता का बैनर और उनकी कोशिशें बेटे के काम नहीं आई। बाद में सुनील को "कार थीफ","मैं तेरे लिए" और "मास्टर" जैसी नाम मात्र की फिल्में मिलीं। फिल्मों में नाकामयाबी के दिन देखने के बाद सुनील अपने पिता के बैनर का कारोबार संभालने में जुट गए और फिल्मी दुनिया ने भी उन्हें याद नहीं रखा।

बिस्मिल्लाह खान-नैय्यर हुसैन खान
शहनाई को आम लोगों तक पहुंचाने वाले बिस्मिल्लाह खान को 2001 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 2006 में उनके निधन के बाद उनके दूसरे बेटे नैय्यर हुसैन खान को ही उनकी विरासत बढ़ाने का मौका मिला, जो अपने पिता के साथ ही शहनाई बजाते रहे। लेकिन वे भी कोई खास नाम नहीं कर पाए। 2009 को उनके निधन के साथ ही बिस्मिल्लाह खान की शहनाई की विरासत खत्म होती दिखने लगी।

वल्लभ भाई पटेल-दयाभाई पटेल
लौ ह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल के बेटे थे दयाभाई पटेल। दयाभाई पटेल ने अपने पिता के साथ स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और बाद में 1952-57 में लोकसभा के सदस्य भी चुने गए। बाद में वे राज्यसभा में भी गए लेकिन पिता के कद से बहुत पीछे रह गए।

विजय अमृतराज-प्रकाश अमृतराज
खेल की दुनिया में भारतीय टेनिस स्टार विजय अमृतराज को लोग अब तक नहीं भूले हैं। अपने भाई आनंद अमृतराज के साथ वे 1976 में विंबलडन मेंस डबल्स के फाइनल तक पहुंचे थे। उनकी रैंकिंग 39 तक थी। वे 20 साल तक भारतीय डेविस कप टीम में शामिल रहे। अपने बेटे को अमरीका में रखकर उसे भी टेनिस स्टार बनाना चाहा। 2 अक्टूबर, 1983 को जन्मे प्रकाश अमृतराज को मौका भी मिला। उन्हें भारतीय डेविस कप टीम में शामिल भी किया गया लेकिन प्रकाश में अपने पिता की झलक नहीं मिली और वे अब भारतीय खेल की दुनिया में लगभग गुमनाम हो चुके हैं।

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